उत्तराखंड में विकास की नई इबारत लिखने के लिए चाई ग्रामोत्सव शुरू..

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By योगेश्वर दत्त सुयाल

चाई (लैंसडाउन), 28 मई: तीन दिवसीय चाई ग्रामोत्सव आज यहां माँ दुर्गा मंदिर में परंपरागत पूजा पाठ के साथ शुरू हुआ। पूजा पाठ के बाद गांव में ‘कैलाश यात्रा’ शोभायात्रा भी निकाली गई। यह सबसे पहले गाँव के जलस्रोत पर पहुंची और यहाँ सभी ग्राम वासियों ने प्रार्थना की कि यह सदा-सदा गाँव के लोगों के लिए जीवनदायिनी बना रहे और सबको समृद्धि प्रदान करे। इसके बाद शोभायात्रा गाँव के हर घर के सामने से होते हुए गुजरी। शोभायात्रा का एक दल मधु गंगा नदी के किनारे स्थित प्राचीन शिव मंदिर पर पहुंचा। तीसरा दल गाँव के निकट स्थित वन में गया और प्रार्थना की कि जंगल स्रोत हमेशा कायम रहें।


चाई गाँव पौड़ी गढ़वाल जिले में लैंसडाउन से लगभग 25 किमी की दूरी पर स्थित है। चाई ग्रामोत्सव का उद्घाटन शिक्षाविद और डीपीएमआई नई दिल्ली के अध्यक्ष डा. विनोद बचेती और लैंसडाउन कालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश ध्यानी ने किया।


सांध्यकालीन सत्र में गाँव के निवासियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।


सत्र के दूसरे दिन 29 मई को लोकसभा सदस्य और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पहाड़ में विकास के मुद्दों पर जनसाधारण को संबोधित करेंगे।


उत्तराखंड के लोग अपने प्राकृतिक स्रोतों जल, जंगल, जमीन को बचाने के प्रति संवेदनशील हैं।
उत्तराखंड में पहले ब्रिटिश काल और फिर आजादी के बाद वनाधिकार आंदोलन हुए हैं। यह चिपको आंदोलन का स्वर्ण जयंती वर्ष भी है जो चमोली जिले के छोटे-से रेणी गाँव में 1973 में शुरू हुआ था।


चाई ग्रामोत्सव पहली बार 2010 में शुरू हुआ था और तब से यह हर वर्ष गंगा दशहरा पर आयोजित हो रहा है।
इस महोत्सव में चाई गांव और आसपास के सैकड़ों परिवार देश-विदेश से आकर भाग लेते हैं। इस महोत्सव ने लोगों को अपनी जड़ों की ओर लौटने, अपने जर्जर होते घरों की मरम्मत करने और घर में ही शौचालय जैसी अन्य सुविधाएं तैयार करने के लिए प्रेरित किया है। गाँव के पूर्व प्रधान अशोक बुड़ाकोटी ने गांव तक कोलतार की सड़क बनाने, हर घर को नल का जल और बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है।


ग्रामोत्सव को विकास के मॉडल के रूप में पेश करने का विचार समाजशास्त्री देवेंद्र कुमार बुड़ाकोटी का है। उन्होंने इस संबंध में ‘चाई ग्रामोत्सव: विकास और संस्कृति का मॉडल’ पुस्तिका भी लिखी है। वह पूरे उत्तराखंड में ग्रामोत्सव को विकास के मॉडल के रूप में पेश करने की मुहिम छेड़े हुए हैं। देवेंद्र बुड़ाकोटी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व छात्र हैं और उनके शोध कार्य को नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन ने भी उद्धरित किया है।


चाई ग्रामोत्सव पर मलेशिया से अपने गांव आए देवेंद्र बुड़ाकोटी ने कहा कि उत्तराखंड के कई गांवों में समय-समय पर पूजा-पाठ जैसे सामूहिक आयोजन होते हैं, लेकिन वे इस दौरान न तो सांस्कृतिक आयोजन करते हैं, न ही गाँव के विकास पर चर्चा करते हैं। चाई ग्रामोत्सव का उद्देश्य एकजुट होकर सांस्कृतिक परंपराओं को जीवन रखना, गांवों के विकास के मुद्दों पर चर्चा करना और इनका स्थानीय स्तर पर समाधान निकालना है। उन्हें पक्का यकीन है कि अगर ग्रामोत्सव मॉडल को हर गाँव में अपनाया जाए तो इससे पहाड़ की विकास प्रक्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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Social researcher, Traveller, and Writer played diverse roles in the development sector, with a strong dedication for preservation of cultural heritage. Sharing my experince and insights on this website.
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